गाजर घास से बेहाल वन्य प्राणी

गाजर घास के साथ मेरे दो दशक (भाग-23)

- पंकज अवधिया


गाजर घास से नाना प्रकार के रोग होते है। इससे मनुष्यो और फसलो को बडा नुकसान होता है। यह सब तो आप सुनते-पढते रहते है। पर यह विदेशी खरपतवार किस तरह से वन्य जीवो के लिये अभिशाप बना हुआ है इस बारे बहुत कम ही सुनने-पढने मे आता है। देश का शायद ही ऐसा कोई वनीय क्षेत्र होगा जहाँ इसका प्रकोप नही है। चूँकि गाजर घास पर शोध मनुष्यो और फसलो को केन्द्रित कर हो रहे है इसलिये वन्य जीवो पर इसके असर के आँकडे नही मिलते है। आप जानते ही है कि जब गाय गल्ती से गाजर घास खा जाती है तो उसका जहर दूध मे भी आ जाता है। विदेशो विशेषकर आस्ट्रेलिया जहाँ पशु माँस खाया जाता है, मे यह पाया गया है कि चारागाहो मे गाजर घास का प्रकोप पशु माँस उद्योग को बुरी तरह नुकसान पहुँचा रहा है। मध्य भारत के वनीय़ क्षेत्रो के निवासी बताते है कि गाजर घास का प्रकोप बरसात मे इस कदर बढ जाता है कि हिरणो को हरी घास के लिये गाजर घास की घनी आबादी से होकर गुजरना पडता है। कितना भी बचे पर गाजर घास हिरन के आहार तंत्र मे प्रवेश कर ही जाती है। हिरण के शरीर मे विष का प्रवेश मतलब इससे पूरे जंगल यहाँ तक कि इन पर आश्रित रहने वाले माँसाहारियो विशेषकर शेरो का प्रभावित होना है। हिरण के मल पर आश्रित रहने वाले डंग बीटल भी इससे प्रभावित होते है।

हिरण और बाकी सभी जानवरो को मजबूरी मे ही सही पर गाजर घास के पौधो के बीच से गुजरना पडता है। इससे उन्हे नाना प्रकार के त्वचा रोग हो जाते है। ठीक उसी तरह जिस तरह हमारे पालतू पशुओ को ये रोग हो जाते है। मैने अपने सर्वेक्षणो के दौरान जंगलो मे पानी के पास इसे उगते पाया है। पानी के पोखरो पर ही सभी वन्य जीव आश्रित रहते है। गाजर घास पानी की सहायता से एक स्थान से दूसरे स्थान तक फैलती है। इसके बीज जल धारा के साथ बहते रहते है। इस तरह एक बार जंगल मे प्रवेश के साथ ही हर साल यह फैलती जाती है। पशुओ के साथ भी इसका फैलाव होता है। अब जब मनुष्य अपने आस-पास उग रही गाजर घास से निपट नही पा रहा है तो भला जंगल मे इसके निर्बाध फैलाव पर कौन अंकुश लगायेगा?

जैसे मैने पहले लिखा है कि वाहनो से इसका फैलाव बहुत तेजी से होता है। जिन जंगलो मे सैलानियो की आवाजाही बढ रही है वहाँ गाजर घास भी बढ रही है। किसी का ध्यान इसपर नही है। पिछले दिनो मै कवर्धा के मैकल पर्वत श्रेणियो मे गाजर घास के फैलाव को देख कर चकित रह गया। मुझे पहाडो मे काफी ऊपर तक इसका प्रकोप मिला। साथ चल रहे स्थानीय निवासी ने बताया कि घाटी का मनोरम दृश्य देखने के लिये विदेशी सैलानियो का काफिला इन चोटियो पर आता है। उनके साजो-समान और जूतो के साथ इसके बीज भी पहुँच जाते है बिना रोक-टोक। यदि उनके आने-जाने का एक ही रास्ता कर दिया जाये और रास्ते से गाजर घास को हटा दिया जाये तो इसके प्रसार को रोका जा सकता है। आवश्यकत्ता है जागरुकता लाने की।

सबसे दुखद दृश्य कुछ वर्षो पहले मध्यप्रदेश के पेंच वन अभ्यारण्य मे देखने को मिला। जंगल का राजा गाजर घास के पास बैठा हुआ था। उसकी गुफा से लेकर पेंच नदी के तट तक गाजर घास का फैलाव था। जंगल के इस राजा के पास मनुष्यो के किये की सजा भुगतने के अलावा कोई चारा नही था। जंगल का पारिस्थितिकी तंत्र बडा ही नाजुक होता है। गाजर घास के नियंत्रण के लिये अब तक उपलब्ध विधियो के प्रयोग की संभावना जंगलो मे नही दिखती। रसायन जंगल के लिये अभिशाप है, विदेशी कीट किस देशी वनस्पति को खाना शुरु कर दे यह पता नही, नयी वनस्पतियो को जंगल मे फैलाकर स्थानीय वनस्पतियो के अस्तित्व पर खतरा खडा करना भी समझदारी नही है तो फिर कैसे जंगलो से गाजर घास को नष्ट क़िया जाये?

ज्यादातर विशेषज्ञो का ध्यान इस ओर नही है। यदि उनसे पूछा जाये तो वे विस्तृत शोध की बात करेंगे। इसमे करोडो लगेंगे और पता नही कब शोध परिणाम सामने आयें। जमीन से जुडे वनवासियो जिन्हे मै असली वैज्ञानिक मानता हूँ, से मैने समाधान माँगा तो उन्होने कहा कि गाजर घास से निपटने प्रकृति माँ कोई प्राकृतिक तरीका ढूँढ निकालेगी पर तब तक आधुनिक मनुष्य को उन उपायो को अपनाना होगा जिससे कि नये बीज जंगल के अन्दर नही आये।

जंगल मे वनस्पतियो के औषधीय उपयोगो मे बन्दरो की कोई सानी नही है। जंगल मे भ्रमण करने वालो और पशु व्यवहार पर सतत निगरानी रखने वालो ने बहुत बार बन्दरो को गाजर घास की जड उखाडकर ले जाते देखा है। यह सम्भव है कि वे इसका कुछ उपयोग कर रहे हो। मनुष्य सदा से जानवरो द्वारा वनस्पतियो के प्रयोग से सीखता रहा है। उम्मीद की जानी चाहिये कि इस बार भी उसके पूर्वज यानि बन्दर उसे नयी राह दिखायेंगे इस विदेशी खरपतवार के उपयोग की।


[गाजर घास पर आधारभूत जानकारी के लिये इंटरनेशनल पार्थेनियम रिसर्च न्यूज ग्रुप की वेबसाइट पर जाये।]

(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)

© सर्वाधिकार सुरक्षित



शेष आलेखो के लिये इस कडी को चटकाए गाजर घास के साथ मेरे दो दशक

Comments

Popular posts from this blog

Medicinal Plants used with Pemphis acidula Forst. based Ethnoveterinary Formulations by Indigenous Shepherd Community

Research References on Potential Indigenous Phytomedicines for Covid-19 like viral diseases from Medicinal Plant Database by Pankaj Oudhia (Contd.)