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Showing posts from 2008

--- तो इसलिये नष्ट किया जा रहा रतनजोत (जैट्रोफा) भारतीय किसानो द्वारा

--- तो इसलिये नष्ट किया जा रहा रतनजोत (जैट्रोफा) भारतीय किसानो द्वारा - पंकज अवधिया कुछ दिनो पहले राजधानी के पास बडी तादाद मे उखाडे गये रतनजोत को देखकर मैने गाडी रुकवायी। रतनजोत को इस हालत मे मैने कभी नही देखा था। मेरे चालक ने कहा कि हो सकता है कि जलाउ लकडी के रुप मे इसका उपयोग होने लगा हो और इसलिये लोग इसे काटकर सुखा रहे हो। पर रतनजोत मे लेटेक्स होने के कारण यह अधिक उपयोगी जलाउ लकडी नही है। मैने तस्वीरे ली और आस-पास के लोगो से पूछा पर शायद सरकारी साहब समझ पर वे सहम से गये। कुछ आगे बढे तो रतनजोत के पौधो के ऐसे ढेर दिखे जिन्हे जलाया जा रहा था। लोगो ने बताया कि हम किसान है। सरकारी विभागो ने खेत की मेडो पर इसे लगा दिया था। खाद पानी मिलने से इन्होने राक्षसी रुप धारण कर लिया। फिर ये खेतो मे घुसने लगे। खेतो मे तो परम्परगत फसले होती है और रतनजोत क्या, किसी भी घुसपैठिये को अन्दर आने की अनुमति नही देते है किसान। सो उन्होने अन्य खरपतवारो की तरह इसे भी उखाडा और जला दिया। मेरे कहने से पहले ही वे बोले कि यदि इसी रफ्तार से इसे रोपा जाता रहा तो ये अधिक ताकत से अ

कम से कम ऐसी अनदेखी तो न करे गाजर घास के प्रकोप की?

कम से कम ऐसी अनदेखी तो न करे गाजर घास के प्रकोप की? - पंकज अवधिया गाजर घास के प्रकोप के बीच काम करना आसान नही है। उन्होने बताया कि इसे उखाडने के बाद सिर और सारा शरीर भारी लगने लगता है। आँखो मे कडवाहट भर जाती है। शायद उन्हे इस बात की जानकारी नही थी कि गाजर घास से सबसे बडा खतरा एलर्जी का है। त्वचा प्रदाह और साँस के रोग सबसे पहले पकडते है। मैने उन्हे यह जानकारी दी तो वे बोले कि सर्दी तो रहती ही है पर यह नही पता चल रहा था कि अचानक से क्यो शुरु हो गयी है यहाँ काम पर आने के बाद। वहाँ काम कर रहे दूसरे मजदूरो ने बताया कि शहरो से जो खाद लायी गयी उसके साथ गाजर घास के बीज यहाँ तक पहुँचे। पहले गिनती के पौधे थे पर अब तो जैसे उनका राज ही हो गया है। पूरा लेख इस कडी पर पढे http://ecoport.org/ep?SearchType=earticleView&earticleId=3178&page=-2 Updated Information and Links on March 05, 2012 New Links :  http://www.scribd.com/doc/ 83154451/Remedial-Measures- for-Toxicity-of-Traditional- Herbal-Medicines-Recent- Topics-in-Pankaj-Oudhia%E2%80% 99s-Medicinal-Plant-Database- Part-1

गाजर घास पर पत्रक का गूगल द्वारा अनुवाद

घातक खरपतवार गाजर घास पर हम लोग मासिक पत्रक का प्रकाशन कर रहे है आन-लाइन। कल जारी होने वाले पत्रक को यूँ ही जब मैने गूगल ट्रांसलेशन मे आजमाया तो काफी हद तक सही अनुवाद प्राप्त हुआ। वीड को जगह-जगह छाँट और तम्बाकू के रुप मे अनुवादित किया गया है। जबकि सही अनुवाद है खरपतवार। अनुवाद मै नीचे दे रहा हूँ। मूल पत्रक जो अंग्रेजी मे है इसे आप इस कडी पर देखे। http://ecoport.org/ep?SearchType=earticleView&earticleId=3177&page=12367 गूगल द्वारा किया गया अनुवाद अंतर्राष्ट्रीय समाचार Parthenium अनुसंधान [ IPRN ] वॉल्यूम . 1 No.2 1 जुलाई , 2008 अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान Parthenium News एक मुफ़्त है , वैश्विक मासिक समाचार पत्र पर अप्रिय छाँट Parthenium hysterophorus . यह प्रकाशित की मदद से अंतर्राष्ट्रीय समाचार Parthenium अनुसंधान समूह [ IPRNG ] . योगदानकर्ताओं के लिए बहुमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद . < < में इस मुद्दे > > सम्पादकीय इस महीने के वैज्ञानिक Parthenium -- डॉ. सुशील कुमार घोषणा -- छाँट के भविष्य के अनुसंधान में ब्रिटेन . -- छाँट दिवस 2008-06-27 -- कांग्रेस पर पांचवें विश्व Al

क्या ऐसा ही कृषि अनुसन्धान चाहते है भारतीय किसान?

इस लेख को आप इकोपोर्ट पर पढ सकते है। देश भर मे छप रहे और छप चुके इस लेख पर व्यापक प्रतिक्रियाए हुयी है। पीडीएफ मे उपलब्ध इस लेख को आप इस कडी पर जाकर पढ सकते है। http://ecoport.org/ep?SearchType=reference&ReferenceID=557479

बच के भारतीय किसानो 'नोनी माफिया' आपकी तलाश मे है

कैसे नोनी की खेती के दिवास्वप्न दिखा कर भारतीय किसानो को ठगने की तैयारी चल रही है, इस पर केन्द्रित यह लेख देश भर मे छप चुका है। आप इकोपोर्ट की इस कडी पर जाकर पीडीएफ मे उपलब्ध इस लेख को पढ सकते है। http://ecoport.org/ep?SearchType=reference&ReferenceID=557425 Updated Information and Links on March 05, 2012 New Links :  http://www.scribd.com/doc/ 83154451/Remedial-Measures- for-Toxicity-of-Traditional- Herbal-Medicines-Recent- Topics-in-Pankaj-Oudhia%E2%80% 99s-Medicinal-Plant-Database- Part-1 http://www.scribd.com/doc/ 83041234/New-Topics-in-Pankaj- Oudhia%E2%80%99s-Medicinal- Plant-Database Related Topics in Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database at  http://www.pankajoudhia.com Celastrus paniculatus as important ingredient of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used in treatment of Type II Diabetes (Madhumeh) with Sudhoul And Dronpushpi as Primary Ingredients (Research Documents on Medicinal Plants of Madhya

गाजर घास पर आन-लाइन मासिक पत्रिका का प्रकाशन

दुनिया के दस सबसे खतरनाक माने जाने वाले खरपतवारो मे से एक गाजर घास (पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस) के विभिन्न पहलुओ पर काम कर रहे वैज्ञानिको, किसानो, स्वयमसेवियो, छात्रो सभी के बीच नवीनतम जानकारियो के आदान-प्रदान के लिये एक जून, 2008 से एक आन-लाइन मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है। इसका नाम इंटरनेशनल पार्थेनियम रिसर्च न्यूज है। यह पत्रिका अंग्रेजी मे प्रकाशित होगी पर शीघ्र ही इसे हिन्दी मे भी प्रकाशित किया जायेगा। यह नि:शुल्क उपलब्ध रहेगी। आप सभी से अनुरोध है कि अपना योगदान लेखो, समाचारो आदि के रुप मे दे। प्रथम अंक के लिये अंतिम तिथि है 25 मई, 2008. योगदान इस पते पर भेजे pankajoudhia(at)gmail.com

'गाजर घास : एक घातक शत्रु ' अब आनलाइन

मैने 1997 मे 'गाजर घास : एक घातक शत्रु ' नामक हिन्दी पुस्तक लिखी थी। अब इस पुस्तक को इंटरनेट पर उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा हूँ। इसी कडी मे इसका प्रथम अध्याय गाजर घास पर आधारित दुनिया की पहली वेबसाइट मे प्रकाशित किया है। आप आमंत्रित है इसे पढने के लिये। गाजर घास :एक घातक शत्रु. अध्याय-1 http://www.iprng.org/DetailArticlesWork.aspx?id=93

रतनजोत उखाडकर नष्ट करने का फरमान, आओ! मेरठ प्रशासन का करे सम्मान

पिछले दिनो मेरठ से खबर आयी कि स्थानीय प्रशासन ने आम निवासियो से अनुरोध किया है कि वे अपने आस-पास उग रहे रतनजोत को उखाड फेके। जहाँ एक ओर पूरे देश मे डीजल के विकल्प के रुप मे इस पौधे को लगाया जा रहा है ऐसे मे इस तरह का फरमान सामने आये तो इससे सबका चौकना तय था। समाचार के अनुसार मेरठ के आस-पास बच्चो द्वारा रतनजोत के बीज को खाकर बीमार होने के पचास से अधिक मामले सामने आये तो नाराज पालको ने प्रदर्शन किया। इसी को देखते हुये प्रशासन ने रतनजोत के नुकसान को भाँपते हुये इसे तुरंत ही उखाडने का निर्देश दे दिया। रतनजोत (जैट्रोफा) के दुष्प्रभावो को जानने वाले ऐसे फरमानो की उम्मीद बहुत वर्षो से कर रहे थे। आज पूरे देश मे आम लोगो को इस जहरीले पौधे के विषय मे पूरी जानकारी दिये बिना ही व्यापक पैमाने पर इसे लगाया जा रहा है। परिणामस्वरुप इसके हानिकारक प्रभाव सामने आने लगे। आज यह कोई नही बता पा रहा है कि रतनजोत से बायोडीजल कब बनेगा पर मनुष्यो से लेकर वन्य प्राणियो तक सभी के लिये यह विदेशी पौधा अभिशाप बनता जा रहा है। आज सारा देश क्रिकेट, फिल्मो और राजनीति पर चर्चा कर रहा है। ऐसे मे बहुत कम लोग जानते

तिलहन फसल अलसी के अंकुरण पर गाजर घास का प्रभाव

घातक खरपतवार गाजर घास पर शोध सन्दर्भ- 3 Oudhia, P., Kolhe, S.S. and Tripathi, R.S. (1997). Allelopathic effect of Parthenium hysterophorus L. on germination of Linseed . Indian J. Plant Physiol. 2 (4). 327-329. यह शोध पत्र गाजर घास से तैयार विभिन्न सत्वो के तिलहन फसल अलसी के अंकुरण पर होने वाले दुष्प्रभावो को दर्शाता है। इस प्रयोग से यह जानने मे सहायता मिलती है कि गाजर घास का कौन सा भाग इस फसल के लिये अधिक नुकसानदायक है। यह शोध पत्र उस शोध कार्य पर आधारित है जो मैने इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर मे पढाई के दौरान किया था। मूल शोध पत्र देश-विदेश के सभी पुस्तकालयो मे उपलब्ध है। [गाजर घास पर आधारभूत जानकारी के लिये इंटरनेशनल पार्थेनियम रिसर्च न्यूज ग्रुप की वेबसाइट पर जाये।]

गाजर घास का सरसो, कोदो और अन्य खरपतवारो पर दुष्प्रभाव

घातक खरपतवार गाजर घास पर शोध सन्दर्भ- 2 Oudhia, P. and Tripathi, R.S. (1998). Allelopathic effects of Parthenium hysterophorus L. on Kodo , Mustard and problematic weeds . First International Conference on Parthenium Management (Vol. II) UAS, Dharwad 6-8 Oct. 1997: 136-139. यह शोध पत्र गाजर घास से तैयार विभिन्न सत्वो के कोदो और सरसो की फसल के अंकुरण और पौध ओज पर होने वाले दुष्प्रभावो को दर्शाता है। इस प्रयोग से यह जानने मे सहायता मिलती है कि गाजर घास का कौन सा भाग इन फसलो के लिये अधिक नुकसानदायक है। कोदो और सरसो के अलावा गाजर घास के सत्वो का प्रभाव हानिकारक खरपतवारो के अंकुरण और पौध ओज पर भी देखा गया। इससे यह जानने मे सहायता मिलती है कि गाजर घास का प्रयोग अन्य खरपतवारो के विनाश मे कैसे किया जा सकता है। यह शोध पत्र उस शोध कार्य पर आधारित है जो मैने इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर मे पढाई के दौरान किया था। मूल शोध पत्र देश-विदेश के सभी पुस्तकालयो मे उपलब्ध है। [गाजर घास पर आधारभूत जानकारी के लिये इंटरनेशनल पार्थेनियम रिसर्च न्यूज ग्रुप की वेबसाइट पर जाये।]

गाजर घास का चने की फसल पर दुष्प्रभाव

घातक खरपतवार गाजर घास पर शोध सन्दर्भ-1 Oudhia, P., Kolhe, S.S. and Tripathi, R.S. (1997). Allelopathic effect of white top ( Parthenium hysterophorus L. ) on chickpea . Legume Research. 20 (2): 117-120. यह शोध पत्र गाजर घास से तैयार विभिन्न सत्वो के चने की फसल के अंकुरण और पौध ओज पर होने वाले दुष्प्रभावो को दर्शाता है। इस प्रयोग से यह जानने मे सहायता मिलती है कि गाजर घास का कौन सा भाग इस फसल के लिये अधिक नुकसानदायक है। यह शोध पत्र उस शोध कार्य पर आधारित है जो मैने इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर मे पढाई के दौरान किया था। मूल शोध पत्र देश-विदेश के सभी पुस्तकालयो मे उपलब्ध है। लेग्यूम रिसर्च एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका है।

आइये! गाजर घास मुक्त भारत का स्वप्न साकार करे

गाजर घास के साथ मेरे दो दशक (भाग-27, अंतिम भाग ) - पंकज अवधिया गाजर घास के साथ बीते दो दशको ने काफी सबक सीखाये। मैने इस खरपतवार के विभिन्न पहलुओ को करीब से जाना। इस पर अनुसन्धान किया और अपनी क्षमता के अनुसार आम लोगो को जागृत किया। दुनिया भर के गाजर घास के विशेषज्ञ आज एक मंच पर तो आ गये है पर अभी भी उनमे आपस संवादहीनता की स्थिति है। आने वाले समय मे मेरा यह प्रयास रहेगा कि मै इस संवादहीनता को दूर कर उन्हे लगातार चर्चा करने के लिये प्रेरित करुँ। गाजर घास पर सैकडॉ विशेषज्ञ कार्य कर रहे है पर बहुत कम विशेषज्ञ ऐसे है जो केवल गाजर घास पर काम कर रहे है। जो दिन-रात, सोते-उठते सिर्फ इसके विषय मे सोचते रहते है। जिस तेजी से गाजर घास फैल रही है उसे देखते हुये ऐसे समर्पित विशेषज्ञो की फौज तैयार करने की जरुरत है। ऐसी फौज उन स्वयमसेवियो की भी बनाने की आवश्यकत्ता है जो आत्म प्रेरणा से गाजर घास पर काम करना चाहते है पर उन्हे कही से प्रोत्साहन नही मिल रहा है। यह आम लोगो के साथ समस्या है कि वे जल्दी से समस्याओ को भूल जाते है और नयी समस्याओ मे उलझ जाते है। हमारा मीड

खबरदार जो गाजर घास को विदेशी कहा तो-----

गाजर घास के साथ मेरे दो दशक (भाग-26) - पंकज अवधिया आज सभी इस सत्य को जानते है कि गाजर घास आयातित गेहूँ के साथ विदेश से भारत लायी गयी पर हमारे बीच विशेषज्ञो का एक ऐसा समूह भी है जो इस नग्न सत्य को झुठलाने मे जुटा हुआ है। अलग-अलग मंचो से जब भी कोई इस सत्य को दोहराता है तो वे खडे होकर अपना विरोध जताते है। ये वरिष्ठ है और कनिष्ठो विशेषकर उनके नीचे काम कर रहे कनिष्ठो पर जबरदस्त बनाये हुये है। जब इस सत्य को दर्शाता कोई शोध पत्र प्रकाशित किया जाता है तो भी इसमे कैची चला दी जाती है। विशेषज्ञो का यह समूह तर्क देता है कि आयातित गेहूँ के साथ लाये जाने से दशको पहले से गाजर घास भारत मे उपस्थित थी। वे एक ऐसे शोध पत्र का हवाला देते है जिसमे कहा गया है कि गाजर घास बहुत पहले से भारत मे है। यह दावा सत्य से परे लगता है। यदि गाजर घास पहले से उपस्थित है तो फिर क्यो नही यह पूरे देश मे उस गति से फैली जिस गति से आजादी के बाद लाये जाने के बाद फैली। फिर एक ही शोधकर्ता ने ऐसा दावा क्यो किया है? यदि गाजर घास पहले से थी तो इसका उल्लेख उस समय की प्रसिद्ध पुस्तको मे आना चाहिये था। पर

गाजर घास और किसानो की आत्महत्या

गाजर घास के साथ मेरे दो दशक (भाग-25) - पंकज अवधिया दुनिया भर के शोध परिणाम यह बताते है कि गाजर घास यदि खेतो मे फसलो के साथ प्रतियोगिता करे तो पूरी फसल भी चौपट हो सकती है। पहले यह बेकार जमीन और मेडो तक सीमित थी पर अब खेतो मे इसके प्रवेश कर जाने से भारतीय कृषि को बहुत नुकसान हो रहा है। ये नुकसान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनो है। नमी, प्रकाश और भोजन के लिये गाजर घास फसल से प्रतियोगिता करती है। इसके परागकण पर-परागण करने वाली फसलो के संवेदी अंगो मे एकत्र हो जाते है जिससे उनमे परागण नही हो पाता है। खेतो मे गाजर घास किसानो को सीधे प्रभावित करती है। उसके पशु भी प्रभावित होते है। गाजर घास के जहरीले रसायन मिट्टी की उर्वर क्षमता को प्रभावित करते है। किसान के पास रसायनो के प्रयोग के अलावा कोई सशक्त विकल्प नही होता। जैविक खेती कर रहे किसान बडी दुविधा मे पड जाते है। गाजर घास का किसानो, फसलो और पशुओ पर यह दुष्प्रभाव दशको से निरंतर हो रहा है। आज हम विदर्भ के किसानो की आत्महत्या के विषय मे जानते है पर गाजर घास पर आयोजित प्रथम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मे बताया गया कि गा

आखिर कीमत चुकानी ही पडी गाजर घास पर काम करने की

गाजर घास के साथ मेरे दो दशक (भाग-24) - पंकज अवधिया शुरु के कुछ वर्षो तक गाजर घास के साथ काम करने पर मुझे तकलीफ नही हुयी पर धीरे-धीरे दमा (अस्थमा) जैसे लक्षण आने लगे। पहले लगा कि आम सर्दी-खाँसी है। इसकी दवा चलती रही पर जब साधारण दवाओ ने असर दिखाना बन्द कर दिया और मर्ज बढता ही गया तो आधुनिक चिकित्सको को परागकणो से होने वाले एलर्जी का शक हुआ। उन्होने दिनचर्या का ब्यौरा माँगा तो उन्हे दिन मे कई बार ‘ गाजर घास ’ शब्द सुनायी दिया। उनके कान खडे हो गये। जल्दी ही यह स्पष्ट हो गया कि रोग की जड गाजर घास है। उन्होने कठोर शब्दो मे कहा कि गाजर घास से दूर रहे। आप ही बताइये क्या यह सम्भव है? ऐसा कैसे हो सकता था कि मै अभियान से दूर रहूँ और आम लोगो को गाजर घास नष्ट करने के लिये प्रेरित करुँ? चिकित्सको की बात अनसुनी कर दी। जब भी साँस लेने मे तकलीफ होती तो दमा का औषधियाँ ले लेता था। एक रात पानी सिर से ऊपर पहुँच गया। साँस की तकलीफ के कारण अस्पताल की शरण लेनी पडी। चिकित्सको ने कहा कि एक इंजैक्शन लगवा लीजिये तो तीन माह तक आप गाजर घास के पास जाकर भी नुकसान से बचे रहेंगे। इस बारे मे छ