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Showing posts from April, 2009

क्या बीटी बैगन के अलावा कोई विकल्प नही है?

क्या बीटी बैगन के अलावा कोई विकल्प नही है? - पंकज अवधिया एक विशेष प्रकार के कीडो के लिये विकसित किये गये बीटी बैगन की जरुरत क्या सचमुच भारतीय किसानो को है? क्या उन कीडो का नियंत्रण इतना मुश्किल हो गया है कि हम करोडो भारतीयो की जान दाँव पर लगाकर बीटी बैगन को भारत मे लाने व्यग्र है? यदि वैज्ञानिको से यह सवाल पूछा जाये तो वे शायद कहे कि हाँ, हाँ यह जरुरी है। पर बैग़न की खेती कर रहे किसान ऐसा नही कहेंगे। यह मेरा सौभाग्य है कि मै बैगन की पारम्परिक खेती कर रहे हजारो भारतीय किसानो से मिला हूँ। उनके पास गजब का पारम्परिक ज्ञान है। वे बिना किसी रसायन के बैगन को कीटो से बचा रहे है। उनके ज्ञान का यदि दस्तावेजीकरण किया जाये तो कृषि शोध संस्थानो के भवन छोटे पड जायेगे इन्हे रखने के लिये। ये महज किताबी ज्ञान नही है। किताबी ज्ञान होता तो न जाने कब का अतीत की गहराईयो मे खो जाता। यह ज्ञान खेतो मे फसलो पर प्रयोग हो रहा है और पीढी दर पीढी निखर रहा है। यह ज्ञान बैगन को कीटो से सदियो तक बचा सकता है। यह ज्ञान देश की असंख्य वनस्पतियो से सम्बन्ध

क्या आप बीटी बैगन के लिये प्रयोगशाला जीव बनने तैयार है?

क्या आप बीटी बैगन के लिये प्रयोगशाला जीव बनने तैयार है? - पंकज अवधिया अब एक बार फिर देश मे बीटी फसल की चर्चा है। इस बार बीटी बैगन आ रहा है। आ रहा है या कहे, आ गया है। समर्थक और विरोधी मोर्चे पर डटे हुये है। चूँकि यह क्लिष्ट तकनीकी विषय है इसलिये आम जनता इससे अंजान है। किसी ने उन्हे सरल भाषा मे समझाया नही। पर यह भी नग्न सत्य है कि इस बीटी बैगन को खाना उन्हे ही है। वैसे हमारे देश मे आम जनता से पूछने की परम्परा नही है। जनता नेताओ को चुन लेती है और वैज्ञानिक नेताओ से चिपक जाते है। बस ये दोनो ही आम जनता से पूछे बिना पाँच वर्षो तक अपना राज चलाते है। जनता मे से कोई पूछता है तो तकनीकी बाते करके उन्हे चुप कर दिया जाता है। पूरा लेख यहाँ पढे