ये घरो मे अन्धेरा करने वाली बिजली के क्या मायने?

ये घरो मे अन्धेरा करने वाली बिजली के क्या मायने?

- पंकज अवधिया

Chhattisgarh plant produces electricity from Jatropha oil.

http://www.jansamachar.net/display.php3?id=&num=9848

इस समाचार की प्रतिक्रिया मे लिखा गया लेख।

आप एक भारतीय गाँव की कल्पना करे तो आपको नीम, पीपल और करंज जैसे वृक्ष सहज ही याद आ जायेंगे। अब मान लीजिये आपके गाँव मे कोई बाहरी संस्था एक विदेशी वनस्पति लेकर आये और आपके विरोध के बावजूद उस जमीन पर इसका रोपण कर दे जिसका प्रयोग पूरा गाँव अपने पशुओ के चारागाह के लिये करता है या फिर उस जमीन पर इसे लगा दे जो आपकी फसल के लिये उपयुक्त है पर सरकारी विशेषज्ञ जिसे बेकार जमीन कहते है। फिर जब इस विदेशी पौधे मे फल आये तो इसके बीजो से तेल निकालकर जनरेटर चलाये और बिजली पैदा कर दे। उसके बाद देश भर के अखबारो मे यह खबर छपवाये कि उन्होने बहुत बडा काम कर दिया है। इससे देश की बिजली की समस्या समापत हो जायेगी। फिर अपनी पीठ थपथपाते घूमे। सही कार्य तो तब होता जब कि गाँव मे उपलब्ध साधनो से बिजली तैयार की जाती। गाँव मे करंज और महुआ जैसी बहुत सी देशी वनस्पतियाँ है। इनसे प्राप्त होने वाले तेल का प्रयोग पीढीयो से हो रहा है। इससे भी जनरेटर चल सकता है। इससे भी बिजली बन सकती है। फिर दुनिया भर मे बदनाम विदेशी पौधे को गाँव मे रोपकर बिजली पैदा करने का प्रपंच समझ से परे है।

मुझे उन लोगो से बडी कोफ्त होती है जो कि गाँवो के उत्थान की योजना वातानुकूलित कमरो मे बन्द होकर बनाते है। इन योजनाओ को बनाते समय गाँव की ओर से कोई भी नही होता है। यही कारण है कि ये योजनाए ग्रामीण हितो को पूरा नही कर पाती है। मुझे ऐसे समाचार प्रकाशित करने वालो से भी शिकायत है। समाचार मे सभी पक्षो को शामिल किया जाना चाहिये ताकि जब यह आम लोगो तक पहुँचे तो वे अपने विवेक से सही निर्णय कर सके। जिस समाचार की प्रतिक्रिया मे मै लिख रहा हूँ उसमे आप देखेंगे कि एक ही पक्ष पर ही लिखा गया है। ऐसे समाचारो को विज्ञापन कहना गलत न होगा।

पिछले कुछ महिनो से मुझे फिलीपींस से बहुत सन्देश आ रहे है। रतनजोत (जैट्रोफा) भारत की तरह ही फिलीपींस के लिये भी विदेशी पौधा है और अब भारत मे इसे सफल बताकर वहाँ लोगो को बरगलाया जा रहा है। वहाँ भी बहुत से ऐसे लोग है जो पर्यावरण को असंतुलित करने की घिनौनी साजिश का विरोध कर रहे है। ऊपर उल्लेखित समाचार ऐसी शैली मे जानबूझकर लिखे जाते है ताकि इसे आधार बनाकर नये लोगो को अपने चंगुल मे फँसाया जा सके। छत्तीसगढ मे रतनजोत की खेती को सफल बताया जा रहा है। जबकि कीडो और बीमारियो से यहाँ फसल मुश्किल मे है। रतनजोत के प्रचार के पहले वर्ष से केवल एक गाडी ही इससे चल रही है। उसके बाद किसी ने हिम्मत नही दिखायी। मै फिलीपींस के लोगो को बताता हूँ कि यदि आपको भी एक गाडी इससे चलानी है तब ही इसे लगाये।

अपने अनुभवो से आम लोग जानते है कि जब करंज का तेल जलता है तो इसका धुँआ वातावरण से कीटाणुओ को नष्ट करता है। दीपावली मे इसका तेल दियो मे जलाया जाता है। श्वाँस रोगो की चिकित्सा मे यह धुँआ उपयोगी माना जाता है। इस पर वैज्ञानिक शोध भी हुये है। पर जरा रतनजोत का तेल जनरेटर मे जलाने वाले बतायेंगे कि इसका धुँआ आस-पास के लोगो पर क्या प्रभाव डाल रहा है? इसके तेल मे कैसर कारक गुण है यह तो वैज्ञानिक दस्तावेजो मे लिखा है। हो सकता है कि इसका धुँआ भी कैसर फैलाये। क्या अपनी पीठ थपथापाते लोग अपने समर्थन मे वैज्ञानिक दस्तावेज दिखा पायेंगे। कही ये बिजली के नाम पर कैसर जैसी बीमारी तो नही बाँट रहे है? मुझे मालूम है कि अपने देश मे सब लोगो को प्रयोगो की छूट है। यदि यही बात विदेश मे होती तो बिना जाँच पडताल करे यह कार्य करने के जुर्म मे ये लोग अब तक सीखचो के पीछे होते।

सम्बन्धित लेख

Bare Facts about Poisonous Jatropha curcas.

(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)

Comments

पंकज जी की बलिहारी, जो रतनजोत की पोल पता लगी। आप के ज्ञान से बहुत लोग लाभान्वित हों। यही कामना है। सब जगह परम्परागत पेड़-पौधे ही अच्छे लगते हैं। बरसों से परीक्षित भी होते हैं और उन के बारे में उपयोगी ज्ञान भी लोगों के पास संचित रहता है।

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