नोनी, कृषि अमृत और प्रलोभन भरे फोन

नोनी, कृषि अमृत और प्रलोभन भरे फोन
- पंकज अवधिया
पिछले दिनो मुझे एक सज्जन का फोन आया। उन्होने अपने विषय मे कुछ बताये बिना जमकर मेरी और मेरे कार्यो की प्रशंसा की और फिर अपने बारे मे बताया। वे गुरू निकले। जब मै कृषि की शिक्षा प्राप्त कर रहा था तब वे विश्वविद्यालय मे उच्च पद पर आसीन थे। एक दशक के बाद उन्होने सम्पर्क साधा था। मैने उन्हे बताया कि मै आईसीएआर तंत्र मे नही हूँ पर कृषि शोध से जुडा हूँ। तारीफ के पुल बाँधने के बाद उन्होने कृषि अमृत मे नोनी पर छपे लेख का हवाला दिया। यह भी बताया कि रिटायरमेंट के बाद मै दक्षिण भारत की एक नोनी बनाने वाले कम्पनी मे सलाहकार हो गया हूँ। मुझे यह लेख दिखा तो मैने तुम्हारा नाम देखकर फोन किया-वे बोले। उन्होने आगे कहा कि इस लेख मे लिखी बाते सही नही है। हम लाभ पहुँचाने वाली नोनी बनाते है। हमारी नोनी पीने से मधुमेह की दवाओ का असर बढ जाता है। एडस ठीक हो जाता है आदि-आदि। मैने उनसे आदरपूर्वक पूछा कि मेरे लिये क्या आदेश है तो बोले कि मै उस कम्पनी से जुड जाऊँ ताकि ऐसे लेखो पर विराम लगे। और भी कई तरीके के प्रलोभन दिये जैसा कि आप सिनेमा मे देखते ही है।
मुझे एक बार फिर कृषि अमृत की ताकत का अहसास हुआ। कम्पनी वालो ने उत्तर प्रदेश और चेन्नई मे यह लेख पढा। उन्हे ऐसा लगा कि जैसे यह लेख उनकी काली करतूतो का पर्दाफाश करने के लिये लिखा गया है। पर जैसा आप जानते है कि यह सामान्य लेख था और नोनी के नाम पर हो रही लूट पर केन्द्रित था। एक कम्पनी विशेष के फोन और इतने प्रलोभनो से मेरा विश्वास और पक्का हो गया कि दाल मे कुछ काला है और मुझे अब दुगुनी गति से इस पर अभियान चलाना होगा।
कृषि अमृत मे जब सफेद मूसली और स्टीविया जैसी फसलो के नाम पर किसानो को लूटने के लेख छपे तो मुझे धमकी भरे कई फोन मिले। खरीदने की भी कोशिश हुई पर जब देश भर के किसानो के असंख्य धन्यवाद सहित पत्र आये तो बडा ही संतोष हुआ। भले ही कृषि पत्र-पत्रिकाए मुख्य धारा से अलग लगे पर इनका गहरा प्रभाव है। यह बात एक बार फिर साबित हो गयी। कृषि अमृत मे नोनी पर दो लेख छपे। बाद वाले लेख पर जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। उत्तर भारत से एक पाठक ने लिखा कि उन्होने इस लेख की 5000 से अधिक प्रतियाँ बाँटी। एक किसान नेता तो अब हर भाषण मे इस लूट से किसानो को बचने की सलाह दे रहे है। नोनी माफिया को आम लोगो की इस पहल से गहरी मार पडी होगी। तभी उन्होने गुरूजन को हथियार के रूप मे इस्तमाल किया और प्रलोभन दिये।
फोन पर मैने प्रश्न किया कि आपकी नोनी मधुमेह की किस दवा का असर बढा देती है तो उन्होने जवाब दिया सभी प्रकार की दवाओ का। भला यह कैसे सम्भव है? विश्व साहित्य के अनुसार इस रोग की हजारो दवा है तो क्या यह सभी का असर बढा देती है? वे बगले झाँकने लगे। मैने दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञो से हुई चर्चा का हवाला देकर कहा कि बडे देशो ने तो इसके उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा रखा है तब फिर आप क्यो इसे आम भारतीयो को खिला रहे है। कई अनुसन्धानकर्ता इसे नयी बीमारियो का जन्मदाता मानते है। कभी-कभी इस बात पर आश्चर्य होता है कि चन्द पैसो के लिये लोग कैसे अपने ही देशवासियो को ठगने और नुकसान पहुँचाने के लिये तैयार हो जाते है। आज दुनिया भर मे महंगे शोध हो रहे है एडस के उपचार की दवा के विकास मे। और दूसरी ओर नोनी जैसे उत्पादो को एडस की दवा बताकर बेचा जा रहा है। इसे ठगी की पराकाष्ठा न कहे तो क्या कहे।
मैने पूर्व मे छपे लेखो मे अपनी उस यात्रा का उल्लेख किया है जिसमे मैने लाल मिट्टी मे नोनी की खेती के प्रयास को देखा था। यह दक्षिण भारत की बात है। नोनी के पौधे अपनी अन्तिम साँसे गिन रहे थे पर किसानो को बताया जा रहा था कि इसे लगाकर आप बिना किसी व्यय के करोडो कमा सकते है। बस महंगी पौध सामग्री खरीदनी होगी। अब तो यह सुनने मे आ रहा है कि नोनी माफिया पूरे देश मे फैल रहा है। किसानो को ये उत्पाद बेचकर लूटा भी जा रहा है और उनसे इसकी खेती की बात भी कही जा रही है। यह विडम्बना ही है कि रिटायरमेंट के बाद इन सज्जन जैसे बहुत से विशेषज्ञ अपनी पहचान और प्रभाव का लाभ उठाकर इस लूट मे अहम भूमिका निभा रहे है।
मैने फोन पर उनसे कहा कि कुछ मुठ्ठी भर लोग इस देश के आम लोगो को छल रहे है। आप से अनुरोध है कि आप इनका साथ न दे। पर जैसी कि उम्मीद थी उन्होने इसे अनसुना कर दिया। पर यह मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि कृषि अमृत और उसके असंख्य जागरूक पाठक इसे अनसुना नही करेंगे और अपने देशवासियो की इन ठगो से रक्षा करेंगे।
(इस ब्लाग पर छपा नोनी पर लेख देश भर की कृषि पत्रिकाओ मे भी प्रकाशित हुआ। इसमे राजस्थान से प्रकाशित होने वाली पत्रिका कृषि अमृत भी है। यह लेख उस पत्रिका को धन्यवाद स्वरूप लिखा गया है। )
(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)
© सर्वाधिकार सुरक्षित

Updated Information and Links on March 19, 2012

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Cymbidium aloifolium (L.) SW. and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Sore, cracked and crusty nostrils, and corners of mouth.
Cymbopogon martini (ROXB.) WATS and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-The child is delirious, drowsy, with nausea, red, hot face, irregular pulse and feverish heat, cries when washed or bathed.
Cynodon dactylon (L.) PERS. and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Child fretful and peevish, cannot bear to be touched or looked at.
Cynoglossum lanceolatum FORSSK. and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Dull pressing, or penetrating pain, as from a plug in different parts.
Cynoglossum wallichii G. DON and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Feels as though he had two wills, one commanding to do what the other forbids
Cynoglossum zeylanicum THUNB. and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Great weakness of memory.
Cyperus alopecuroides ROTTL. and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Cannot walk erect on account of a pain as from a sprain in the groins.
Cyperus brevifolius (ROTTB.) HASSK. and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-During menses a bloody discharge from the bowels.
Cyperus compactus RETZ. and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Constipation, stool hard and crumbling, requiring great effort to expel.
Cyperus compressus L. and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Influenza; acrid, watery coryza, corroding the lips sore throat, hoarseness with rawness and burning in the larynx; dry tickling cough.
Cyperus corymbosus ROTTLE. and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Cholera-like symptoms at commencement of menses.
Cyperus cyperoides (L.) KUNTZE and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Influenza: acrid, burning coryza, nose stopped up at night, must breathe through the mouth, hoarseness, dry cough, oppressed breathing.
Cyperus distans L.F. and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Profuse, transparent, acrid leucorrhoea running down to the feet during the day.
Cyperus esculentus L. and Lantana camara L. (Gotiphool) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-No desire for and no ability to pass stool, until there is a large accumulation.

Comments

36solutions said…
पंकज भईया मैं भी आपका उसी प्रकार प्रसंशा करता हूं जिस तरह से आपके उस सज्‍जन नें की थी इसमें कोई दो मत नहीं है कि आपने ऐसे किसान को छलने वाले विषयों में जन सोंच को भली भांति विकसित करने का प्रयास किया है । मैं स्‍वयं छ.ग. में हर्बल कृषि के अतिआशावादी दिनों में अपनी संस्‍था के उपलब्‍ध भूमि में ऐसे कई प्रयोगों को करने हेतु उत्‍सुक रहा, मेरे संस्‍था प्रमुख नें आपसे संपर्क वार्ता आदि किया किन्‍तु स्‍व.ओम प्रकाश दुबे जी जो मेरे निकट के रिश्‍तेदार थे के सलाह पर सावधानी बरती और धीरे धीरे मेरे मन से रातों रात करोडो के आय के स्‍वप्‍न का भूत उतर गया । आज भी उसी समय से सबर्सक्राईब की गई पत्रिकायें और तथाकथित कम्‍पनियों से पत्र आते हैं पर ना बाबा क्‍या हश्र किया है इन्‍होंनें मेरे छत्‍तीसगढ का यह किसी से छुपा नहीं है ।
साधु, साधु!!
पंकज जी
लालच, ये एक रोग है जो महामारी की तरह विश्व भर में फैला हुआ है. लालच के रोगी अपना दीन इमान सब बेच डालते हैं ड्रुग के रोगी का इलाज सम्भव है लेकिन लालच के रोगी का नहीं. आप से चंद लोग हैं जिनको ये रोग लगा नहीं. वैसे मैं आप की प्रतिभा का कायल हूँ जो बहुमुखी है. इश्वर आप को सदा ऐसा ही बनाये रखे ये ही कामना है
नीरज
mamta said…
नोनी इसे पढ़कर हमे भी कुछ याद आया कि जब हम अंडमान मे थे तो हमे भी एक सज्जन ने इस नोनी से जुड़ने के लिए कहा था और ये प्रलोभन भी दिया था कि भविष्य मे ये सबसे आगे निकलेगी। पर आज आपका लेख पढ़ कर लग रहा है कि अच्छा ही हुआ जो हम नोनी से दूर ही रहे।

अभी हाल ही मे हमने बंगलोर मे फ़्लाइंग मशीन की दुकान मे इसके प्रोडक्ट्स देखे थे।

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