--- तो इसलिये नष्ट किया जा रहा रतनजोत (जैट्रोफा) भारतीय किसानो द्वारा
- पंकज अवधिया
कुछ दिनो पहले राजधानी के पास बडी तादाद मे उखाडे गये रतनजोत को देखकर मैने गाडी रुकवायी। रतनजोत को इस हालत मे मैने कभी नही देखा था। मेरे चालक ने कहा कि हो सकता है कि जलाउ लकडी के रुप मे इसका उपयोग होने लगा हो और इसलिये लोग इसे काटकर सुखा रहे हो। पर रतनजोत मे लेटेक्स होने के कारण यह अधिक उपयोगी जलाउ लकडी नही है। मैने तस्वीरे ली और आस-पास के लोगो से पूछा पर शायद सरकारी साहब समझ पर वे सहम से गये। कुछ आगे बढे तो रतनजोत के पौधो के ऐसे ढेर दिखे जिन्हे जलाया जा रहा था। लोगो ने बताया कि हम किसान है। सरकारी विभागो ने खेत की मेडो पर इसे लगा दिया था। खाद पानी मिलने से इन्होने राक्षसी रुप धारण कर लिया। फिर ये खेतो मे घुसने लगे। खेतो मे तो परम्परगत फसले होती है और रतनजोत क्या, किसी भी घुसपैठिये को अन्दर आने की अनुमति नही देते है किसान। सो उन्होने अन्य खरपतवारो की तरह इसे भी उखाडा और जला दिया। मेरे कहने से पहले ही वे बोले कि यदि इसी रफ्तार से इसे रोपा जाता रहा तो ये अधिक ताकत से अपने बीज फैलायेंगे और खेतो मे किसानो के लिये नया सिरदर्द बनेंगे।
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