ब्लूमिया: कहने को खरपतवार, जाने तो गुण अपार - पंकज अवधिया प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भारतीय हानिकारक गुटखों के कारण मुख रोगों के शिकार होते हैं और कैंसर जैसे रोगों के कारण उनकी मौत हो जाती है| गुटखे के चंगुल में एक बार फंस जाने के बाद उससे निकल पाना बेहद मुश्किल हो जाता है| राज्य के पारम्परिक चिकित्सकों के पास न केवल गुटखे से होने वाले रोगों की चिकित्सा से सम्बन्धित जानकारी है बल्कि वे ऐसी वनस्पतियों के विषय में जानकारी रखते हैं जिनका गुटखे के साथ प्रयोग काफी हद तक गुटखे के दुष्प्रभाव से बचा सकता है| मैंने अपने वानस्पतिक सर्वेक्षणों के माध्यम से १८० से अधिक प्रकार की ऐसे वनस्पतियों की पहचान की है| इन वनस्पतियों में कुकरौन्दा जिसे राज्य में कुकुरमुत्ता के नाम से भी जाना जाता है, एक है| यह वनस्पति को अभी बेकार जमीन में उगते देखा जा सकता है| इसका वैज्ञानिक नाम ब्लूमिया लेसेरा है| पारम्परिक चिकित्सक इसकी जड की सहायता से मुख रोगों की चिकित्सा पीढीयों से करते आ रहे हैं| आधुनिक विज्ञान भी इस पारम्परिक उपयोग का लोहा मानने लगा है| इसी जड को गुटखे में मिलाकर
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